क्या आप जानते हैं कि ......
दुनिया भर में 20 से कम देश ही ऐसे हैं जिनकी जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद 1000 बिलियन डॉलर से अधिक है, वहीं दूसरी ओर महज दूरदर्शी नेतृत्व वाली कंपनियों एप्पल, अमेज़न, गूगल अल्फाबेट आदि की नेटवर्थ 1000 बिलियन डॉलर से कहीं अधिक है। जो इन कंपनियों ने दो-चार दशक में ही हासिल किया है।
क्या आपने कभी गौर किया है कि........
आज हम जिस समाज और अर्थव्यवस्था में जी रहे हैं उसमें नॉलेज डिवाइड की स्थिति है। सरकार और नौकरशाही के साथ नजदीकी संपर्क रखने वाला समाज का एक वर्ग आसानी से सरकारी योजनाओं, सरकारी टेंडर जैसी उन सभी प्रकार की सूचनाओं को हासिल कर लेता है जिसकी उसे आवश्यकता होती है या जिनमें कमाई करने के अवसरों की जानकारी होती है; जबकि समाज के दूसरे वर्ग को आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए भटकना पड़ता है। नॉलेज सोसायटी बनाये बिना हम नॉलेज डिवाइड की स्थिति को समाप्त नहीं कर सकते।
दुनिया के कई देशों की तरह हमारे देश में भी एक बड़ी समस्या सत्ता और धन का दुरुपयोग है। केंद्र या राज्य में जब भी कोई सरकार बनती है तो अक्सर यह सुनने में आता है कि कुछ सांसदों या विधायकों ने अपने मंत्री पद को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। मीडिया इस खबर को बताता है कि फला सांसद या विधायक मलाईदार मंत्रालय न पाने से नाराज है। यही नहीं सरकार में शामिल होने वाले राजनीतिक दल भी यह कहने से नहीं हिचकते कि उन्हें मलाईदार या महत्त्व का मंत्रालय नहीं मिला। आखिर यह किस सोच का परिचायक है और वे क्या दर्शाना चाहते हैं?
देश में वित्तीय साक्षरता का स्तर काफी कम है। अधिकांश लोगों जिनमें शिक्षित युवा वर्ग भी शामिल है, को बैंको और अन्य वित्तीय संस्थाओं से होने वाले व्यवहार के बारे में भी आधी-अधूरी ही जानकारी है। अधिकांश तो सामान्य ब्याज और चक्रवर्ती ब्याज में अंतर भी नहीं बता पाते हैं। इसी प्रकार लोन लेने वाले लोगों को भी इस बात की काफी जानकारी रहती है कि फिक्स ब्याजदर और रिड्यूसिंग ब्याजदर में क्या अंतर है। वित्तीय साक्षरता के मामले में लोगों की सोच सिर्फ महंगाई तक ही सीमित है। मुद्रास्फीति के आंकड़े को लेकर भी सामान्य नागरिक अधिक जानकारी नहीं रखते है। यही स्थिति शेयर बाजार और अन्य वित्तीय उत्पादों को लेकर भी है।
हमारे देश में 64 कलाएं प्रचलित थीं जिसमें से किसी एक को भी सीखकर कोई भी व्यक्ति अपना जीवन यापन आसानी से कर सकता था लेकिन आज की पीढी काम की तलाश के लिए शहर शहर भटकती नजर आती है, सही मार्गदर्शन के अभाव में बेरोजगार युवक इनको सीखना तो दूर,यह जानने का प्रयास भी नहीं करते हैं कि आखिर वे 64 कलाऐं कौन कौन सी थी। जबकि हकीकत तो यह है कि इन 64 कलाओं में से 50 से अधिक कलाओं से न केवल भारत में बल्कि विदेश में भी लाखों, करोडों लोग आज भी अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
हमारा गौरवशाली अतीत था, लेकिन आज हम उस स्थिति को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारे देश के पास समृद्ध इतिहास, विरासत में मिला विश्वस्तरीय ज्ञान का भण्डार, योग, संस्कृति, एक से बढ कर एक प्राकृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल, लजीज व्यंजन, विविधतापूर्ण जीवन शैली है, जो इस दुनिया में किसी को भी आकर्षित कर सकती है, लेकिन फिर भी हम ग्लोबल इमेज के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
What can we do ........
1. We can develop our country as a supplier of quality products and services at competitive prices in the global market.
2. We can develop our country as a country with the lowest imports and the highest exports.
3. We can develop our country as a country with vast job or work opportunities through horizontal and vertical expansion of existing units.
4. We can develop our country as a country where international level education is available at low cost.
5. We can develop our country as a great destination for medical tourism through our advanced medical and tourism facilities.
6. We can develop our country as a better country for low budget MICE sector (Meetings, Incentives, Conferences and Events) by upgrading our existing facilities to international standards.
7. We can develop our country as a country providing leisure and entertainment facilities at low budget by upgrading the existing products and services.
8. We can develop our country as the country with the highest financial literacy in the world.
9. We can develop our country as the country with the highest number of technocrats in the world.
हम क्या कर सकते हैं........
1. हम अपने देश को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण उत्पादों और सेवाओं के आपूर्तिकर्ता के रूप में विकसित कर सकते हैं।
2. हम अपने देश को सबसे कम आयात और सबसे अधिक निर्यात वाले देश के रूप में विकसित कर सकते हैं।
3. हम अपने देश को मौजूदा इकाइयों के क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर विस्तार के माध्यम से विशाल नौकरी या कार्य अवसरों वाले देश के रूप में विकसित कर सकते हैं।
4. हम अपने देश को एक ऐसे देश के रूप में विकसित कर सकते हैं जहाँ कम लागत पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा उपलब्ध है।
5. हम अपने देश को अपनी उन्नत चिकित्सा और पर्यटन सुविधाओं के माध्यम से चिकित्सा पर्यटन के लिए एक बेहतरीन गंतव्य के रूप में विकसित कर सकते हैं।
6. हम अपनी मौजूदा सुविधाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उन्नत करके कम बजट वाले MICE क्षेत्र (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और कार्यक्रम) के लिए एक बेहतर देश के रूप में विकसित कर सकते हैं।
7. हम अपने देश में मौजूदा उत्पादों और सेवाओं को उन्नत करके कम बजट पर अवकाश और मनोरंजन की सुविधाएँ प्रदान करने वाले देश के रूप में विकसित कर सकते हैं।
8. हम अपने देश को दुनिया में सबसे अधिक वित्तीय साक्षरता वाले देश के रूप में विकसित कर सकते हैं।
9. हम अपने देश को दुनिया में सबसे अधिक टेक्नोक्रेट वाले देश के रूप में विकसित कर सकते हैं।
'ज्ञानदूत' बनकर भारत को बनाएं एक Knowledge society
किसी भी समाज को नॉलेज सोसाइटी बनाने के लिए सूचना और ज्ञान का व्यापक वितरण आवश्यक है । प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल मीडिया, मोबाइल फोन, ईवेंट, प्रदर्शनियां, मेले, कार्यशालाएं, सेमिनार, सम्मेलन आदि के माध्यम से समाज के विभिन्न समूहों को सूचना और ज्ञान पहुंचाने का कार्य किया जाता है। शैक्षिक और प्रशिक्षण संस्थान, मीडिया हाउस, टेलीकॉम , फिल्म प्रोडक्शन, टीवी, ओ टी टी सीरियल प्रोडक्शन कंपनियां , प्रोडक्ट्स एंड सर्विस प्रोवाइडर्स, इवेंट मैनेजमेंट कंपनी, आईटीईएस कंपनियां सूचना और ज्ञान वितरण गतिविधियों में शामिल हैं और नॉलेज और इनफार्मेशन डिलीवरी के लिए डिलीवरी प्लेटफॉर्म प्रदान करती हैं। समाज को नॉलेज सोसाइटी बनाने के लिए महत्वपूर्ण यह है कि इन प्लेटफॉर्म्स से किस स्तर की जानकारी और ज्ञान वितरित किया जा रहा है इस पर ध्यान रखा जाए ताकि समाज को क़्वालिटी कंटेंट उपलब्ध हो सके। हमने अपने अध्ययन में पाया है कि कई महत्वपूर्ण जानकारियां आसानी से उपलब्ध नहीं है या कम आकर्षक तरीके से किसी ऐसे प्लेटफार्म से उपलब्ध कराई जा रही है जिसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। वही खराब सामग्री को एक आकर्षक पैकेजिंग में वितरित किया जा रहा है। दोनों स्थितियों में सूचना और ज्ञान का वितरण समाज को नॉलेज सोसाइटी नहीं बना सकता है। हम इसी स्थिति को सुधारना चाहते हैं, ताकि उच्च स्तर के कंटेंट जन सामान्य तक पहुँच सकें। इसके लिए हम चाहते हैं कि आप भी अपनी भूमिका तय करें। आप भी नॉलेज एम्बेसडर, कंटेंट प्लानर, कंटेंट डेवलपर, कंटेंट प्रोडूसर, कंटेंट सप्लायर, कंटेंट स्पांसर या कंटेंट कंज्यूमर के रूप में हमारे साथ Content Supply Chain का हिस्सा बन कर समाज को नॉलेज सोसाइटी बना सकते हैं।
"विरोध" को ताकत बनाकर Sustainable Society बनाएं
यदि आप Sustainable Development के प्रति गंभीर हैं और इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं, एक सामाजिक नेता, या इकोप्रेन्योर बनना पसंद करते हैं, तो आपकी यात्रा शुरू करने के लिए VIRODH एक Zero Mile है। VISION OF INTELLECTUALS, RESEARCHERS & OPPRESSED FOR DEVELOPMENT AND HAPPINESS (VIRODH) विकास और खुशी के लिए बुद्धिजीवियों, शोधकर्ताओं और उत्पीड़ितों की आवाज (विरोध) किसी भी देश की प्रगति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। दुनिया के कोने-कोने से सतत विकास की आवाज उठ रही है। बुद्धिजीवी वर्ग और शोधकर्ता तो आवाज उठा रहे हैं, साथ ही विकास के नाम पर जिन लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है, वे भी आवाज उठा रहे हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में नीति निर्माता और सरकारें उनकी आवाज को नजरअंदाज कर देती हैं। नीति निर्माताओं और सरकारों की यही मनमानी Sustainable Development के लिए सबसे बड़ा खतरा है आप VIRODH के बैनर तले कई ऐसे कार्य कर सकते हैं जो Sustainable Society का निर्माण करने में मदद कर सकता है।